ओपन एक्सेस
वर्तमान समय तकनीकी क्रांति और ज्ञान के विस्फोट का समय है, जहाँ हर पल नई तकनीक उभर रही है। सूचना प्रसारण के माध्यम जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यू-ट्यूब, और रील्स, आदि ने सूचना को पलक झपकते ही वायरल होने की क्षमता दी है। प्रतिदिन हमें सैकड़ों-हजारों संदेश प्राप्त होते हैं जिनमें धार्मिक-आध्यात्मिक उपदेश, ताजे समाचार और विभिन्न सूचनाएं शामिल होती हैं। इन संदेशों में कौन-सा मौलिक है और कौन-सा किसी और से लिया गया है, यह तय कर पाना कठिन है। अगर किसी संदेश से प्रेरणा मिलती है और उसे अन्य तक प्रसारित करने का विचार आता है, तो क्या इसे ‘साहित्यिक चोरी’ माना जाएगा? यह सवाल भी उठता है कि यदि सभी मौलिक विचार, शोध, और सृजन बौद्धिक संपदा के क़ानूनी नियमों में बंद हों, तो उनका विस्तार और समाज को मिलने वाला लाभ सीमित हो जाएगा।
ओपन एक्सेस, या खुली पहुँच, इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ज्ञान को सभी के लिए सुलभ बनाता है। जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उनके लिए पुस्तकालय जाना, पुस्तकें खरीदना या ज्ञान प्राप्ति के अन्य साधनों का उपयोग करना कठिन होता है। ऐसे में, यदि उपलब्ध ज्ञान को भी खरीदने-बेचने के लिए धन लिया जाने लगे, तो यह केवल धनवानों के लिए ही सुलभ रहेगा। आम जन के लिए, जो ज्ञान के पिपासु हैं लेकिन धनाभाव के कारण ज्ञान तक नहीं पहुँच सकते, ओपन एक्सेस अत्यंत उपयोगी है। इसका उद्देश्य यह नहीं है कि किसी की बौद्धिक संपदा का गलत उपयोग हो, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि ज्ञान का व्यापक प्रसार हो और सभी लोग इसका लाभ उठा सकें।
परिचय :
ओपन एक्सेस (Open Access) का अर्थ है कि अनुसंधान लेख, साहित्यिक कृतियाँ और शैक्षणिक सामग्री सभी के लिए मुफ्त और स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हो। यह एक ऐसी प्रणाली है जिसमें सामग्री इंटरनेट के माध्यम से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होती है, और पाठकों से किसी भी प्रकार के सब्सक्रिप्शन या भुगतान की आवश्यकता नहीं होती। ओपन एक्सेस का उद्देश्य शैक्षणिक और वैज्ञानिक ज्ञान को व्यापक रूप से पहुंच योग्य बनाना है, जिससे समाज के सभी वर्गों को इसका लाभ मिल सके।
परिभाषा और विकास :
ओपन एक्सेस का विचार 20वीं सदी के अंत और 21वीं सदी की शुरुआत में जोर पकड़ा। इंटरनेट के विस्तार ने जानकारी और शोध पत्रों की पहुंच को आसान बना दिया, जिससे ओपन एक्सेस का प्रचलन बढ़ा। ओपन एक्सेस की परिभाषा निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर आधारित है:
- मुफ्त उपलब्धता: पाठक किसी भी प्रकार की सामग्री को बिना किसी शुल्क के एक्सेस कर सकते हैं।
- कॉपीराइट और लाइसेंस: लेखक अपने कार्य का कॉपीराइट रखते हैं, लेकिन इसे ओपन एक्सेस के तहत साझा करते हैं, जिससे अन्य लोग इसे स्वतंत्र रूप से पढ़ और उपयोग कर सकते हैं।
- तत्काल और स्थायी उपलब्धता: सामग्री को प्रकाशित होते ही ओपन एक्सेस के तहत उपलब्ध कराया जाता है, और इसे हमेशा के लिए उपलब्ध रखा जाता है।
ओपन एक्सेस का इतिहास :
ओपन एक्सेस का इतिहास दो मुख्य घोषणाओं से जुड़ा है:
- बुडापेस्ट ओपन एक्सेस इनिशिएटिव (BOAI): बुडापेस्ट ओपन एक्सेस इनिशिएटिव (BOAI) एक महत्वपूर्ण आंदोलन है जो शैक्षणिक और वैज्ञानिक साहित्य को सभी के लिए मुफ्त और स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराने का समर्थन करता है। यह इनिशिएटिव 14 फरवरी 2002 को बुडापेस्ट, हंगरी में हुआ था। इसका उद्देश्य यह है कि शोध पत्र और शैक्षणिक सामग्री इंटरनेट पर मुफ्त में उपलब्ध हो, जिससे सभी लोग इसे पढ़ सकें, उपयोग कर सकें, और इसके आधार पर नए शोध कार्य कर सकें।
- बर्लिन डिक्लेरेशन: ओपन एक्सेस आंदोलन का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसे 22 अक्टूबर 2003 को बर्लिन, जर्मनी में जारी किया गया था। इस घोषणापत्र का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक और शैक्षणिक ज्ञान को मुक्त और खुले रूप में सभी के लिए सुलभ बनाना है। यह बुडापेस्ट ओपन एक्सेस इनिशिएटिव के बाद ओपन एक्सेस के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसने शैक्षणिक और अनुसंधान समुदायों के बीच बड़े पैमाने पर समर्थन और स्वीकृति प्राप्त की।बर्लिन डिक्लेरेशन को जर्मनी के मैक्स प्लांक सोसाइटी (Max Planck Society) और अन्य प्रमुख अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से आयोजित एक सम्मेलन में अपनाया गया था।
ओपन एक्सेस के प्रकार :
ओपन एक्सेस को दो मुख्य प्रकारों में बांटा जा सकता है:
- गोल्ड ओपन एक्सेस : गोल्ड ओपन एक्सेस (Gold Open Access) एक ऐसा प्रकाशन मॉडल है जो शोध कार्यों और वैज्ञानिक साहित्य को इंटरनेट पर मुफ्त और खुले तौर पर उपलब्ध कराता है। इस मॉडल में, लेखकों या उनके संस्थानों द्वारा प्रकाशन शुल्क (Article Processing Charges – APC) का भुगतान किया जाता है, जिससे पाठकों को किसी भी प्रकार की भुगतान या सदस्यता के बिना लेखों तक पहुंच मिलती है। यह ओपन एक्सेस का एक प्रमुख मॉडल है और इसका उद्देश्य वैज्ञानिक ज्ञान को सभी के लिए सुलभ बनाना है।
- ग्रीन ओपन एक्सेस : ग्रीन ओपन एक्सेस में, लेखक अपने लेख का प्रीप्रिंट या पोस्टप्रिंट संस्करण किसी रिपॉजिटरी में संग्रहित करते हैं, जो कि ओपन एक्सेस के तहत उपलब्ध होता है। इसमें प्रकाशन शुल्क नहीं लगता, और लेख को संस्थान के रिपॉजिटरी या किसी अन्य ओपन एक्सेस रिपॉजिटरी में डाला जा सकता है।
ओपन एक्सेस के लाभ :
ओपन एक्सेस का तात्पर्य ऐसे शोध साहित्य से है जो इंटरनेट पर बिना किसी आर्थिक, कानूनी या तकनीकी बाधाओं के स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हो। इसका उद्देश्य ज्ञान के प्रसार को बढ़ावा देना और शोध के क्षेत्र में पारदर्शिता और सहयोग को प्रोत्साहित करना है। ओपन एक्सेस के कई लाभ हैं, जिन्हें हम निम्नलिखित बिंदुओं में विस्तार से समझ सकते हैं:
1. व्यापक पहुंच और प्रसार
- अधिक पाठक: ओपन एक्सेस के माध्यम से शोध पत्रों तक अधिक लोगों की पहुंच संभव होती है, क्योंकि उन्हें पढ़ने के लिए किसी सब्सक्रिप्शन या भुगतान की आवश्यकता नहीं होती।
- ग्लोबल एक्सेस: दुनिया भर के शोधकर्ता, विद्यार्थी, और आम लोग किसी भी स्थान से शोध कार्यों का अध्ययन कर सकते हैं, जिससे ज्ञान का वैश्विक प्रसार होता है।
2. उद्धरण में वृद्धि
- अधिक उद्धरण: ओपन एक्सेस लेखों के उद्धरण की संभावना अधिक होती है, क्योंकि वे व्यापक रूप से उपलब्ध होते हैं और उन्हें अधिक लोग पढ़ सकते हैं।
- शोध की पहचान: उद्धरण में वृद्धि से शोधकर्ताओं और उनके कार्यों की पहचान और प्रतिष्ठा भी बढ़ती है।
3. आर्थिक लाभ
- लागत में कमी: ओपन एक्सेस से लाइब्रेरी और संस्थानों को जर्नल सब्सक्रिप्शन पर खर्च कम करने में मदद मिलती है।
- शोधकर्ताओं के लिए बचत: शोधकर्ताओं को अपने लेखों को पढ़ने के लिए किसी प्रकार के शुल्क का भुगतान नहीं करना पड़ता।
4. पारदर्शिता और विश्वास
- शोध की पारदर्शिता: ओपन एक्सेस से शोध की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी बनती है, क्योंकि सभी डेटा और निष्कर्ष सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होते हैं।
- विश्वास और सत्यापन: शोध कार्यों की स्वतंत्र समीक्षा और सत्यापन संभव हो जाता है, जिससे शोध की विश्वसनीयता बढ़ती है।
5. ज्ञान का मुक्त प्रवाह
- शैक्षणिक सहयोग: ओपन एक्सेस से शोधकर्ताओं के बीच सहयोग बढ़ता है, क्योंकि वे स्वतंत्र रूप से एक-दूसरे के कार्यों का अध्ययन और उपयोग कर सकते हैं।
- इनोवेशन में तेजी: मुक्त ज्ञान के आदान-प्रदान से नवाचार की गति तेज होती है, क्योंकि शोधकर्ता नए विचारों और तकनीकों को तेजी से अपना सकते हैं।
6. सामाजिक और आर्थिक विकास
- समाज को लाभ: ओपन एक्सेस से समाज के विभिन्न वर्गों को लाभ होता है, क्योंकि स्वास्थ्य, पर्यावरण, और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में शोध कार्यों की पहुंच सभी के लिए संभव हो जाती है।
- नीति निर्माण: नीति निर्माताओं को सही और अद्यतित जानकारी मिलती है, जिससे वे प्रभावी और ज्ञान-आधारित नीतियाँ बना सकते हैं।
7. शैक्षणिक उपयोग
- शिक्षण और अधिगम: विद्यार्थी और शिक्षक ओपन एक्सेस सामग्री का उपयोग कर सकते हैं, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होता है।
- संसाधनों का उपयोग: शैक्षणिक संस्थान ओपन एक्सेस सामग्री का उपयोग कर सकते हैं, जिससे उनके लिए उच्च गुणवत्ता वाली शैक्षणिक सामग्री की उपलब्धता बढ़ती है।
8. शोधकर्ताओं की स्वतंत्रता
- प्रकाशन की स्वतंत्रता: ओपन एक्सेस मॉडल में शोधकर्ताओं को अपने कार्यों को स्व-भंडारण करने और विभिन्न प्लेटफार्मों पर प्रकाशित करने की स्वतंत्रता होती है।
- स्व–भंडारण की सुविधा: संस्थागत रिपॉजिटरी और अन्य प्लेटफार्मों पर शोध पत्रों को स्वतंत्र रूप से जमा किया जा सकता है, जिससे उनका व्यापक प्रसार संभव होता है।
9. वैज्ञानिक अनुसंधान में तेजी
- ज्ञान की उपलब्धता: वैज्ञानिक अनुसंधान में तेजी आती है, क्योंकि ओपन एक्सेस से अनुसंधान की सामग्री तक तुरंत पहुंच मिलती है।
- समय की बचत: शोधकर्ताओं को आवश्यक जानकारी जल्दी मिल जाती है, जिससे उनके अनुसंधान की प्रक्रिया में समय की बचत होती है।
10. टेक्नोलॉजी का उपयोग
- डिजिटल आर्काइविंग: ओपन एक्सेस से डिजिटल आर्काइविंग और संरक्षण की प्रक्रिया आसान होती है, जिससे लंबे समय तक शोध सामग्री सुरक्षित रहती है।
- डेटा एनालिटिक्स: ओपन एक्सेस से शोध डेटा का विश्लेषण और उपयोग अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकता है, जिससे शोध की गुणवत्ता में सुधार होता है।
ओपन एक्सेस के चुनौतियाँ :
- आर्थिक चुनौतियाँ : गोल्ड ओपन एक्सेस में लेखकों या उनके संस्थानों को प्रकाशन शुल्क का भुगतान करना पड़ता है, जो कि कई बार महंगा हो सकता है। यह उन शोधकर्ताओं के लिए मुश्किल हो सकता है जिनके पास वित्तीय संसाधन सीमित होते हैं।
- गुणवत्ता नियंत्रण : ओपन एक्सेस में कई जर्नल्स की गुणवत्ता पर सवाल उठता है, क्योंकि कुछ जर्नल्स प्रकाशन शुल्क के लिए निम्न गुणवत्ता के लेख भी प्रकाशित कर सकते हैं। इससे शोध कार्य की विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है।
- कॉपीराइट और लाइसेंस : ओपन एक्सेस के तहत, लेखकों को अपने कार्य के लिए उचित लाइसेंस चुनना पड़ता है, जिससे उनके कार्य का दुरुपयोग न हो। यह प्रक्रिया कई बार जटिल हो सकती है और लेखकों को कानूनी सलाह की आवश्यकता हो सकती है।
- डिजिटल विभाजन : हालांकि ओपन एक्सेस इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध होता है, लेकिन दुनिया के कई हिस्सों में इंटरनेट की पहुंच सीमित है। इससे उन क्षेत्रों के लोग ओपन एक्सेस सामग्री का पूर्ण लाभ नहीं उठा पाते।
ओपन एक्सेस के भविष्य की दिशा
ओपन एक्सेस का भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे:
- नीतियों और नियमों का सुधार : सरकारों और संस्थानों को ओपन एक्सेस के लिए स्पष्ट नीतियाँ बनानी होंगी, जिससे कि इसे व्यापक रूप से अपनाया जा सके। यह नीतियाँ शोधकर्ताओं को वित्तीय सहायता प्रदान कर सकती हैं और उन्हें ओपन एक्सेस के लाभों के बारे में जागरूक कर सकती हैं।
- तकनीकी सुधार : ओपन एक्सेस रिपॉजिटरी और जर्नल्स को बेहतर तकनीकी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए, जिससे कि वे अधिक सुरक्षित, विश्वसनीय और उपयोगकर्ता के अनुकूल हो सकें।
- गुणवत्ता नियंत्रण : ओपन एक्सेस जर्नल्स की गुणवत्ता नियंत्रण के लिए सख्त मानदंड बनाए जाने चाहिए, जिससे कि केवल उच्च गुणवत्ता वाले लेख ही प्रकाशित हों। इसके लिए स्वतंत्र समीक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
- सहयोग और साझेदारी : ओपन एक्सेस को सफल बनाने के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग और साझेदारी आवश्यक है। विभिन्न देशों, संस्थानों और संगठनों को मिलकर काम करना होगा, जिससे कि ओपन एक्सेस का दायरा बढ़ सके और अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें।
- शिक्षा और जागरूकता : ओपन एक्सेस के बारे में शोधकर्ताओं, छात्रों और आम जनता को शिक्षित करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए कार्यशालाओं, सेमिनारों और ऑनलाइन कोर्सों का आयोजन किया जा सकता है।
निष्कर्ष :
ओपन एक्सेस एक महत्वपूर्ण पहल है जो कि शैक्षणिक और वैज्ञानिक ज्ञान को सभी के लिए सुलभ बनाता है। इसके कई लाभ हैं, जैसे कि व्यापक पहुंच, अनुसंधान का तेजी से प्रसार, आर्थिक बचत, और सार्वजनिक हित। हालांकि, इसके सामने कई चुनौतियाँ भी हैं, जैसे कि आर्थिक चुनौतियाँ, गुणवत्ता नियंत्रण, कॉपीराइट और लाइसेंस, और डिजिटल विभाजन।
ओपन एक्सेस का भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए नीतियों और नियमों का सुधार, तकनीकी सुधार, गुणवत्ता नियंत्रण, सहयोग और साझेदारी, और शिक्षा और जागरूकता जैसे कदम उठाने होंगे। ओपन एक्सेस के माध्यम से, हम एक ऐसे समाज की ओर बढ़ सकते हैं जहाँ ज्ञान का आदान-प्रदान स्वतंत्र और समान हो, और इससे सभी वर्गों को लाभ मिल सके।
शोधकर्ताओं, छात्रों और आम जनता को ओपन एक्सेस के महत्व को समझना और इसे अपनाना चाहिए, ताकि हम एक ज्ञान-संपन्न समाज की ओर अग्रसर हो सकें। ओपन एक्सेस की सफलता में हर व्यक्ति की भागीदारी महत्वपूर्ण है, और हमें इसके लिए मिलकर प्रयास करना होगा।
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विकाश शर्मा
शोधार्थी, हिंदी विभाग
पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय, शिलांग